Organic Farming

पत्ता गोभी की खेती :-

यह रवि मौसम की एक महत्वपूर्ण सब्जी है जिसका प्रदेश के लगभग सभी बड़े शहरों के निकट उत्पादन किया जाता है. इसका प्रयोग बिभिन्न सब्जियों एवं व्यंजनों में होता है. इसको बंधा अथवा बंदगोभी भी कहते है. इसके प्रति 100 ग्राम पदार्थ में प्रोटीन 1.4 ग्राम, वासा 0.२ ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 5.7 ग्राम तथा विटामिन ए, बी, सी, ई, पर्याप्त मात्र में पाई जाती है. इसमें लोहा, कैल्शियम, मैग्नीशियम तथा सोडियम आदि लवाद भी प्रचुर मात्र में पाये जाते है. पात गोभी की विशिष्ट स्वाद सिनिग्रिन नामक ग्लुकोसाइड की उपस्थिति के कारन होता है.

अगेती किस्में :-

अगेती किस्में 60-80 मध्य सितम्बर से मध्य अक्तूबर 500 ग्राम बीज प्रति हैक्टेअर तक बुआई की जाती है. 300-350 कुंटल प्रति हैक्टेअर की उपज होती है.

पिछेती किस्में 100-120 मध्य अक्टूबर से मध्य नवम्बर 500 ग्राम बीज तक बुआई की जाती है. 350-450 कुंटल प्रति हैक्टेअर की उपज होती है.

अगेती किस्में – प्राइड ऑफ इंडिया, गोल्डेन, एकर, अर्ली ड्रमहेड, मीनाक्षी.

पिछेती किस्में – लेट ड्रमहेड, डेनिसवालहेड, मुक्ता, पूसा, ड्रमहेड, रेड कैबेज, पूसा हिल टापर, कोपेन हेगन मार्किट.

ये सभी अगेती व् पिछेती खेती के लिए बीज के नाम है.

खेती का चयन व् तैयारी:-

पात गोभी रेतीली से भरी लगभग सभी प्रकार की भूमियों में उत्पादन की जा सकती है. सफल खेती के लिए भूमि की जल निकास उत्तम होना आवश्यक है. अम्लीय मिटटी पात गोभी के लिए अच्छी नहीं होती है. भूमि का पी. एच. मान 5.5 से 7.5 के बिच