ऐश गॉर्ड (पेठा) की खेती और रोगों से बचाव की जानकारी
1. पेठा की खेती की भूमिका
पेठा या ऐश गॉर्ड एक महत्वपूर्ण सब्जी है, जिसे मीठे व्यंजन और औषधीय उपयोगों के लिए उगाया जाता है। इसकी खेती सही प्रबंधन और देखभाल से लाभकारी हो सकती है।
2. खेती के लिए आवश्यकताएँ
मिट्टी और जलवायु:
- हल्की दोमट या बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए उत्तम होती है।
- मिट्टी का पीएच स्तर 5.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
- गर्म और आर्द्र जलवायु इसकी बढ़िया उपज के लिए अनुकूल होती है।
- 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान इसकी खेती के लिए सर्वोत्तम है।
बीज चयन और बुवाई का समय:
- अच्छे गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें।
- फरवरी से अप्रैल या जून से अगस्त तक इसका सबसे अच्छा बुवाई का समय है।
खेत की तैयारी:
- मिट्टी को 2-3 बार जोतकर भुरभुरा और समतल कर लें।
- खेत में 3-4 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ डालें।
- खेत में 1.5-2 मीटर की दूरी पर क्यारी बनाएं।
बीज बुवाई का तरीका:
- बीज को 24 घंटे पानी में भिगोकर रखें।
- बीज को 2.5-3 सेमी गहराई में लगाएं।
- पौधों के बीच 2.5 मीटर की दूरी रखें।
3. सिंचाई और पोषण प्रबंधन
- गर्मियों में 4-5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।
- मानसून में अधिक पानी से बचाव करें।
- नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश (60:40:40 किलो प्रति हेक्टेयर) संतुलित मात्रा में डालें।
- फूल और फल बनने के समय नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाएं।
4. रोग और कीट प्रबंधन
सामान्य रोग:
- पाउडरी मिल्ड्यू (सफेद चूर्ण रोग):
- पत्तों पर सफेद चूर्ण जैसा धब्बा।
- बचाव: सल्फर डस्ट या कार्बेन्डाजिम 0.1% का छिड़काव करें।
- डाउनी मिल्ड्यू:
- पत्तों के नीचे पीले धब्बे।
- बचाव: मैन्कोज़ेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
- रूट रॉट:
- जड़ सड़ने लगती है।
- बचाव: ट्राइकोडर्मा विरिडी 2.5 किलो प्रति हेक्टेयर मिट्टी में मिलाएं।
सामान्य कीट:
- फल मक्खी:
- फल में छेद करके नुकसान पहुँचाती है।
- बचाव: मिथाइल यूजेनॉल ट्रैप का उपयोग करें।
- लाल मकड़ी:
- पत्तों का रस चूसकर सूखा बनाती है।
- बचाव: नीम का तेल (1%) या डायकोफॉल का छिड़काव करें।
5. फसल कटाई और उपज
- बुवाई के 90-120 दिन बाद फल पकने लगते हैं।
- फल को तोड़ने के बाद 2-3 दिन के भीतर बाजार में भेजें।
- उपज: 15-20 टन प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो सकती है।
6. रोगों से बचाव के सामान्य उपाय
- स्वस्थ और प्रमाणित बीज का उपयोग करें।
- खेत में जल निकासी का उचित प्रबंध करें।
- फसल चक्र (Crop Rotation) अपनाएं।
- जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।
- समय-समय पर पौधों की निगरानी करें।
निष्कर्ष:
सही प्रबंधन, उर्वरक उपयोग, और रोग नियंत्रण तकनीकों के माध्यम से पेठा की खेती से अच्छी उपज और मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है।