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Radish Cultivation

मूली की खेती (Radish Cultivation)

मूली की खेती (Radish Cultivation) कब और कैसे की जाती है – विस्तृत जानकारी

परिचय:

मूली (Radish) एक महत्वपूर्ण जड़ वाली सब्जी है जिसे पूरे भारत में उगाया जाता है। इसमें बहुत से पोषक तत्व होते हैं, जैसे कि विटामिन C, कैल्शियम, और फाइबर। मूली की खेती मुख्य रूप से सलाद और सब्जी के रूप में की जाती है।

जलवायु और मिट्टी:

  • जलवायु: मूली ठंडे मौसम में बेहतर तरीके से उगती है। इसका उत्पादन सर्दियों के मौसम में अधिक होता है। तापमान 10°C से 25°C के बीच इसके लिए सबसे उपयुक्त होता है।
  • मिट्टी: मूली के लिए हल्की, दोमट या रेतीली मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिट्टी की pH सीमा 6.5 से 7.5 तक उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा, मिट्टी में जैविक पदार्थ की अच्छी मात्रा होनी चाहिए।

बुवाई का समय:

  • रबी मौसम: उत्तर भारत में, मूली की बुवाई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से नवंबर के बीच होता है।
  • खरीफ मौसम: गर्मियों में मूली की खेती भी की जा सकती है, विशेषकर ऊँचे क्षेत्रों में। इसकी बुवाई जुलाई से अगस्त तक की जाती है।
  • जल्दी किस्में: अगर जल्दी फसल चाहिए तो मई-जून में भी इसकी बुवाई की जा सकती है।

बीज और बुवाई:

  • बीज की मात्रा: मूली के लिए 8-10 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।
  • बीज की दूरी: बीजों को 20-30 सेमी की दूरी पर बोया जाता है, और बीज की गहराई 1.5-2.0 सेमी होनी चाहिए।
  • बुवाई की विधि: लाइन बुवाई या छिटकाव विधि से बुवाई की जाती है। लाइन बुवाई में सिंचाई और निराई-गुड़ाई में आसानी होती है।

सिंचाई:

  • मूली की फसल में 4-5 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
  • पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें, और बाकी सिंचाई मिट्टी की नमी के अनुसार करें।
  • ग्रीष्मकालीन बुवाई में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है, जबकि सर्दियों में कम सिंचाई की आवश्यकता होती है।

उर्वरक:

  • बुवाई से पहले खेत में अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें।
  • नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश की सही मात्रा में पूर्ति करें। सामान्यतः 60-80 किग्रा नाइट्रोजन, 40-60 किग्रा फॉस्फोरस, और 40-50 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर आवश्यक होता है।

रोग और कीट प्रबंधन:

  • रोग: मूली की फसल में प्रमुख रूप से पाउडरी मिल्ड्यू, डाउनी मिल्ड्यू और बैक्टीरियल ब्लाइट रोग हो सकते हैं। इन रोगों से बचाव के लिए उचित फफूंदनाशक और कीटनाशक का उपयोग करें।
  • कीट: एफिड्स, लीफ माइनर्स और कटवर्म जैसे कीट मूली की फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनसे बचाव के लिए जैविक या रासायनिक कीटनाशकों का सही उपयोग करें।

कटाई:

  • मूली की कटाई बुवाई के 30-45 दिनों बाद की जाती है, जब जड़ पूरी तरह से विकसित हो जाती है।
  • कटाई का समय इस पर निर्भर करता है कि किस उद्देश्य से मूली की खेती की जा रही है। सलाद के लिए उगाई गई मूली को थोड़ा पहले ही निकाल लिया जाता है।

उपज:

  • मूली की खेती में औसतन 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है, जो किस्म, मिट्टी और प्रबंधन प्रथाओं पर निर्भर करती है।

बाजार में बिक्री:

  • मूली की कटाई के बाद इसे तुरंत बाजार में ले जाकर बेच दें, क्योंकि यह जल्दी खराब हो जाती है।
  • बंडल में बांधकर ताजगी बनाए रखने के लिए ठंडे स्थान पर रखें।

इस प्रकार, सही समय पर बुवाई, उचित सिंचाई, उर्वरक प्रबंधन और कीट/रोग नियंत्रण से मूली की बेहतर फसल प्राप्त की जा सकती है।

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