चने की खेती करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
समय
चने की बुवाई का सही समय अक्टूबर के मध्य से नवंबर के अंत तक है। यह समय चने की अच्छी पैदावार के लिए महत्वपूर्ण होता है।
भूमि का चयन
चने की खेती के लिए अच्छे जल निकासी वाली दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। भूमि का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
भूमि की तैयारी
- खेत की सफाई: सबसे पहले खेत को साफ करें और अवांछित पौधों और खरपतवारों को निकालें।
- जुताई: भूमि की गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। दो से तीन बार जुताई करना उचित होता है।
- पाटा चलाना: जुताई के बाद पाटा चलाकर खेत को समतल और मुलायम बनाएं।
बीज की तैयारी
- बीज का चयन: उच्च गुणवत्ता वाले और रोग-मुक्त बीज का चयन करें।
- बीज उपचार: बुवाई से पहले बीजों का उपचार करें। इसके लिए बीजों को 2 ग्राम थिरम या कार्बेंडाजिम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें।
बुवाई की विधि
- बुवाई की गहराई: बीजों को 5-6 सेमी गहराई पर बोएं।
- बीज की दूरी: पौधों के बीच की दूरी 10-15 सेमी और कतारों के बीच की दूरी 30-45 सेमी रखें।
खाद एवं उर्वरक
- खाद का प्रयोग: खेत में गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करें।
- उर्वरक: चने की फसल के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की आवश्यकता होती है। प्रति हेक्टेयर 20-25 किग्रा नाइट्रोजन, 40-50 किग्रा फॉस्फोरस और 20-25 किग्रा पोटाश का प्रयोग करें।
सिंचाई
चने की फसल के लिए अत्यधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। बुवाई के बाद पहली सिंचाई और फिर 30-35 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। फूल आने और फली बनने के समय एक सिंचाई अवश्य करें।
निराई-गुड़ाई
- खरपतवार नियंत्रण: समय-समय पर खरपतवारों को निकालते रहें।
- गुड़ाई: फसल को स्वस्थ रखने के लिए बीच-बीच में गुड़ाई करते रहें।
कीट और रोग नियंत्रण
- कीटनाशक का प्रयोग: चने की फसल पर लगने वाले कीटों के लिए उपयुक्त कीटनाशकों का छिड़काव करें।
- रोग नियंत्रण: फसल पर रोग लगने की स्थिति में कृषि वैज्ञानिकों की सलाह लें और आवश्यक दवाओं का प्रयोग करें।
कटाई
चने की फसल 100-120 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। जब पौधे पीले होने लगें और पत्तियाँ झड़ने लगें, तब फसल की कटाई करें।
इन सभी चरणों का पालन करके आप अच्छी गुणवत्ता और उच्च पैदावार वाली चने की फसल प्राप्त कर सकते हैं।