Satya Mev jayte #Vegetable मक्का की खेती (Maize Cultivation) कब और कैसे करें

मक्का की खेती (Maize Cultivation) कब और कैसे करें

मक्का की खेती (Maize Cultivation)

मक्का की खेती (Maize Cultivation) कब और कैसे करें – विस्तृत जानकारी

परिचय:

मक्का (Maize या Corn) विश्व की प्रमुख खाद्य फसलों में से एक है और इसे भारत में कई नामों से जाना जाता है, जैसे कि “भुट्टा”। मक्का का उपयोग खाद्य, पशु चारे, और औद्योगिक उत्पादों के रूप में किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण अनाज है जिसे विविध प्रकार की जलवायु और मिट्टी में उगाया जा सकता है।

जलवायु और मिट्टी:

  • जलवायु: मक्का की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। इसका आदर्श तापमान 21°C से 30°C के बीच होता है। मक्का गर्मियों और मानसून में अच्छी तरह से उगता है।
  • मिट्टी: मक्का के लिए दोमट, बलुई दोमट, या काली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का pH 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। मिट्टी में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि मक्का की फसल जलभराव सहन नहीं कर पाती।

बुवाई का समय:

  • खरीफ मौसम: खरीफ की मक्का की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय जून से जुलाई के बीच होता है। इस समय मानसून की वर्षा होती है जो मक्का के लिए आवश्यक होती है।
  • रबी मौसम: रबी की मक्का की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच की जाती है। इस समय की फसल के लिए सिंचाई की आवश्यकता होती है।
  • ग्रीष्मकालीन बुवाई: फरवरी से मार्च के बीच भी मक्का की बुवाई की जा सकती है, विशेषकर सिंचित क्षेत्रों में।

बीज और बुवाई:

  • बीज की मात्रा: मक्का के लिए 20-25 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।
  • बीज की दूरी: पौधों के बीच 20-25 सेमी और पंक्तियों के बीच 60-75 सेमी की दूरी रखी जाती है। बीजों को 4-5 सेमी की गहराई पर बोना चाहिए।
  • बुवाई की विधि: मक्का की बुवाई सीधी पंक्तियों में की जाती है। पंक्तियों के बीच की दूरी ट्रैक्टर या बैल चलित उपकरणों से आसान निराई-गुड़ाई और सिंचाई में सहायक होती है।

सिंचाई:

  • पहली सिंचाई: बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। यदि बारिश हो रही हो, तो सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती।
  • दूसरी सिंचाई: अंकुरण के बाद, 20-25 दिनों के अंतराल पर करें।
  • सिंचाई की आवश्यकता: मक्का की फसल को 4-5 सिंचाई की आवश्यकता होती है, खासकर जब पत्तियां निकल रही हों और दाने भरने की अवस्था में हों।

उर्वरक:

  • जैविक खाद: बुवाई से पहले खेत में 10-15 टन सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें।
  • रासायनिक उर्वरक: 120-150 किग्रा नाइट्रोजन, 60-80 किग्रा फॉस्फोरस, और 40-60 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। नाइट्रोजन की मात्रा को तीन हिस्सों में विभाजित करें: एक हिस्सा बुवाई के समय, दूसरा हिस्सा पहली निराई के बाद, और तीसरा हिस्सा दूसरी निराई के बाद डालें।

निराई-गुड़ाई:

  • निराई-गुड़ाई: मक्का की फसल में 2-3 बार निराई-गुड़ाई की आवश्यकता होती है। पहली निराई बुवाई के 20-25 दिनों बाद करें, और दूसरी निराई 40-45 दिनों बाद करें। इससे फसल में खरपतवार नियंत्रण और मिट्टी की नमी बनी रहती है।

रोग और कीट प्रबंधन:

  • रोग: मक्का की फसल में प्रमुख रूप से ब्लाइट, रस्ट, और फ्यूजेरियम विल्ट जैसे रोग हो सकते हैं। इनसे बचाव के लिए फफूंदनाशक का छिड़काव करें।
  • कीट: मक्का की फसल में प्रमुख कीट फॉल आर्मीवर्म, स्टेम बोरर, और कटवर्म होते हैं। इनसे बचाव के लिए जैविक या रासायनिक कीटनाशक का सही तरीके से उपयोग करें।

कटाई:

  • कटाई का समय: मक्का की फसल बुवाई के 90-120 दिनों बाद तैयार हो जाती है, जब मक्के के दाने कड़े हो जाते हैं और बाहरी छिलका सूख जाता है।
  • कटाई की विधि: मक्का को हाथ से तोड़ा जाता है, और इसके बाद दानों को निकालने के लिए मक्के की फली को धूप में सुखाया जाता है।

उपज:

  • उपज: मक्का की उपज किस्म, मिट्टी और प्रबंधन पर निर्भर करती है। औसतन, 40-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है। अच्छी देखभाल और सिंचाई के साथ उपज में वृद्धि हो सकती है।

बाजार में बिक्री:

  • मक्का की कटाई के बाद इसे अच्छी तरह से सुखाकर बाजार में भेजें। ताजगी बनाए रखने के लिए और बेहतर कीमत प्राप्त करने के लिए मक्के को सही तरीके से स्टोर करें।
  • मक्के के दानों को पिसा कर आटा भी बनाया जा सकता है, जिसे बाज़ार में अधिक मूल्य पर बेचा जा सकता है।

मक्का की खेती में सही समय पर बुवाई, उचित सिंचाई, उर्वरक प्रबंधन, और रोग/कीट नियंत्रण से बेहतर फसल प्राप्त की जा सकती है। मक्का की फसल किसानों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय साबित हो सकती है, क्योंकि इसका उपयोग विभिन्न खाद्य और औद्योगिक उत्पादों में होता है।

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