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बांकला की फली की खेती

बांकला की खेती के करने के लिए आपको कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी देंगे, जैसे की भूमि की तैयारी, बीज की तैयारी, बुआई, सिचाई, निराई-गूढ़ाई, खाद व उर्वरक, फसल संरक्षरण और कटाई इत्यादि सभी जानकारी आपको इस पोस्ट में दे जाएंगी।
बांकला की फली की खेती की विधि निम्नलिखित है:

भूमि की तैयारी:

  1. भूमि का चयन: बांकला की फली की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। भूमि का पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
  2. जुताई: गहरी जुताई करें जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाए। इसके बाद 2-3 बार हल्की जुताई करें और पाटा चलाकर भूमि को समतल करें।
  3. संधारण: खेत में अच्छी तरह से गोबर की खाद मिलाएं (लगभग 10-15 टन प्रति हेक्टेयर)। बीज की तैयारी:
  4. बीज का चयन: उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें। बीज रोगमुक्त और स्वस्थ होने चाहिए।
  5. बीज उपचार: बुवाई से पहले बीजों को कवकनाशी से उपचारित करें ताकि फसल रोगों से बच सके। बुवाई:
  6. बुवाई का समय: बांकला की फली की बुवाई का सबसे अच्छा समय खरीफ और रबी मौसम होता है।
  7. बुवाई की विधि: बीजों को सीधी पंक्तियों में बोएं। पंक्तियों के बीच की दूरी 30-45 सेंटीमीटर और पौधों के बीच की दूरी 10-15 सेंटीमीटर रखें।
  8. बीज की गहराई: बीजों को 2-3 सेंटीमीटर की गहराई में बोएं। सिंचाई:
  9. पहली सिंचाई: बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें।
  10. नियमित सिंचाई: फसल की बढ़वार के अनुसार नियमित अंतराल पर सिंचाई करें। सूखे मौसम में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है। निराई और गुड़ाई:
  11. निराई: फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई करें।
  12. गुड़ाई: भूमि को हल्की गुड़ाई करके ढीला करें ताकि पौधों की जड़ें अच्छे से फैल सकें। खाद और उर्वरक:
  13. खाद: बुवाई के समय गोबर की खाद के अलावा नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश उर्वरकों का संतुलित मात्रा में उपयोग करें।
  14. उर्वरक का प्रयोग: फसल की बढ़वार के अनुसार आवश्यकतानुसार उर्वरकों का प्रयोग करें। फसल संरक्षण:
  15. कीट और रोग नियंत्रण: फसल में लगने वाले कीटों और रोगों की नियमित निगरानी करें और आवश्यकता पड़ने पर जैविक या रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करें।
  16. फसल का निरीक्षण: फसल की नियमित रूप से जांच करें और किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत उपाय करें। कटाई:
  17. कटाई का समय: बांकला की फली की कटाई तब करें जब फलियां पूरी तरह से पक जाएं और उनका रंग बदल जाए।
  18. कटाई की विधि: फलियों को सावधानीपूर्वक काटें और उन्हें धूप में अच्छी तरह सुखाएं। भंडारण:
  19. सुखाना: कटाई के बाद फलियों को अच्छी तरह से सुखाएं ताकि उनमें नमी न रहे।
  20. भंडारण: सुखाने के बाद फलियों को साफ और सूखे स्थान पर भंडारित करें ताकि वे लंबे समय तक सुरक्षित रहें।

इस विधि का पालन करके आप बांकला की फली की सफल खेती कर सकते हैं।

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