धनिया की खेती (Coriander Cultivation) कब और कैसे की जाती है – विस्तृत जानकारी
परिचय:
धनिया (Coriander), जिसे अंग्रेजी में “Cilantro” भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण मसालेदार पत्तेदार फसल है। इसके पत्तों का उपयोग ताजे सलाद, चटनी, और विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है, जबकि इसके बीज सूखे मसाले के रूप में इस्तेमाल होते हैं। भारत में धनिया का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है, इसलिए इसकी खेती भी व्यापक रूप से की जाती है।
जलवायु और मिट्टी:
- जलवायु: धनिया की खेती के लिए ठंडा और शुष्क मौसम सबसे उपयुक्त होता है। इसका उत्पादन मुख्य रूप से सर्दियों में किया जाता है, जब तापमान 15°C से 25°C के बीच होता है।
- मिट्टी: दोमट, बलुई दोमट, और चिकनी दोमट मिट्टी धनिया की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती हैं। मिट्टी का pH 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में धनिया की फसल बेहतर होती है।
बुवाई का समय:
- रबी मौसम: धनिया की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से नवंबर के बीच होता है।
- खरीफ मौसम: कुछ क्षेत्रों में, विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में, धनिया की बुवाई जुलाई से अगस्त के बीच भी की जाती है।
- ग्रीष्मकालीन बुवाई: जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा होती है, वहां फरवरी-मार्च में भी इसकी बुवाई की जा सकती है।
बीज और बुवाई:
- बीज की मात्रा: धनिया के लिए 15-20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।
- बीज की दूरी: पंक्तियों के बीच 30-45 सेमी की दूरी रखी जाती है, और पौधों के बीच 15-20 सेमी की दूरी होनी चाहिए।
- बुवाई की विधि: बीजों को हल्की क्यारी में बुवाई करें। बीजों को गहराई से 1.5-2 सेमी तक बोया जाता है। बुवाई से पहले बीजों को 12 घंटे के लिए पानी में भिगोना लाभकारी होता है, जिससे अंकुरण में तेजी आती है।
सिंचाई:
- धनिया की फसल में 3-4 सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद की जाती है।
- दूसरी सिंचाई 7-10 दिनों के अंतराल पर करें, और उसके बाद की सिंचाई आवश्यकतानुसार करें।
- फूल आने के समय पानी की अधिक आवश्यकता होती है।
उर्वरक:
- बुवाई से पहले खेत में अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें।
- 30-40 किग्रा नाइट्रोजन, 40-50 किग्रा फॉस्फोरस, और 20-25 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की मात्रा में उपयोग करें। नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय और बाकी आधी मात्रा सिंचाई के साथ डालें।
रोग और कीट प्रबंधन:
- रोग: धनिया में मुख्य रूप से झुलसा, पाउडरी मिल्ड्यू, और डाउनी मिल्ड्यू जैसे रोग हो सकते हैं। इनसे बचाव के लिए उचित फफूंदनाशक का छिड़काव करें।
- कीट: एफिड्स, थ्रिप्स, और कटवर्म धनिया की फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जैविक या रासायनिक कीटनाशक का सही उपयोग करें।
कटाई:
- पत्तियों के लिए: यदि धनिया को हरी पत्तियों के लिए उगाया गया है, तो बुवाई के 30-40 दिनों के बाद इसे काटा जा सकता है।
- बीज के लिए: यदि धनिया को बीज उत्पादन के लिए उगाया गया है, तो फसल 90-110 दिनों में तैयार हो जाती है। बीज पूरी तरह से पकने पर ही कटाई करें और धूप में सुखाकर स्टोर करें।
उपज:
- हरी पत्तियों की उपज: औसतन 50-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
- बीज की उपज: औसतन 10-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
बाजार में बिक्री:
- हरी पत्तियों को काटकर बाजार में ताजगी बनाए रखने के लिए तुरंत भेजें।
- बीजों को अच्छी तरह सूखाकर बोरों में पैक करके बाजार में बेचा जा सकता है।
धनिया की खेती में सही समय पर बुवाई, उचित सिंचाई, उर्वरक प्रबंधन और रोग/कीट नियंत्रण से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।